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Showing posts from January, 2020

सीहोर उत्क्रष्ट कार्य के लिए ए के पंथी को किया प्रभारी मंत्री ने सम्मानित

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सीहोर उत्क्रष्ट कार्य के लिए ए के पंथी अनुविभागीय अधिकारी ग्रमीण यांत्रिकी सेवागणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व पर प्रभारी मंत्री माननीय आरीफ को किया सम्मानित सीहोर ग्रमीण यांत्रिकी विभाग मेंअनुविभागीय अधिकारी ए के पंथी को उत्क्रष्ट कार्य के लिए गणतंत्र दिवस कार्यक्रम समारोह में जिले के प्रभारी मंत्री आरिफ अकील ने प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया सीहोर। 26 जनवरी 2020 गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह मंडी स्थित पुलिस लाईन परेड मैदान पर आयोजित हुआ। गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि म0प्र0 शासन के जिला प्रभारी मंत्री आरीफ अकील द्वारा झण्डावंदन किया गया। इस समारोह में ए0के0 पंथी, अनुविभागीय अधिकारी, ग्रामीण यंात्रिकी सेवा, उपसंभाग सीहोर को हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में 27 भवनों के मरम्मत एवं निर्माण कार्यो को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने पर जिला प्रभारी मंत्री आरीफ अकील द्वारा प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर यू0एन0 रामटेके, कार्यपालन यंत्री द्वारा इस सराहनीय कार्य में सहयोग के लिए श्री ए0के0 पंथी, श्री शाष्वत दामोदर, अनुविभगाीय अधिकारी नसरूल्लागंज, उपयंत्री श्री एस0के0

सीहोर (गौतम शाह ) CAA कानून जोड़ने के लिए बना तोड़ने के लिए नही-आचार्य पुलक सागर जी

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सीहोर (गौतम शाह ) CAA क़ानून तोड़ने के लिए नही जोड़ने के लिए -जैन संत आचार्य पुलक सागर* CAA पर राष्ट्रीय संत पुलक सागर का देश को बड़ा संदेश सीहोर राष्ट्रीय संत जैन मुनि आचार्य पुलक सागर के जावर तहसील में प्रवचन चल रहे है जहाँ हजारों की संख्या में भक्त जैन मुनि आचार्य पुलक सागर के प्रवचनों का लाभ ले रहे आचार्य पुलक सागर अपने कड़वे प्रवचनों के लिये जाने जाते है जिन्होंने देश और समाज को नई अपने प्रवचनों से समय समय पर नई दिशा देते रहे है एक बार फिर आचर्य पुलक सागर जी ने CAA पर देश मे बने माहौल पर CAA पर बेबाकी से अपनी राय रखते हुवे जैन संत आचार्य पुलक सागर जी महाराज ने कहा कि CAA कानून यह कोई बड़ा मुद्दा नही है इसे मुद्दा बनाया जा रहा है CAA का कानून तोड़ने के लिए नहीं लोगो को जोड़ने के लिए आया जोड़ने वाला हर कार्य पवित्र होता है आज ऐसे मुल्क ऐसे देश जहां पर हमारी भारतीय संस्कृति में पले बड़े लोगों के साथ अत्याचार होता है उनका शोषण होता है हिंदू समाज का वहां पर जबरदस्त उनका बहिष्कार होता है । आज जो लाखों में थे हजारों में बचे है यदि ऐसे लोग अपनी मूल संस्कृति में वापस आना चाहते है तो उ