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Showing posts from May, 2023

सीहोर (गौतम शाह ) 200 वर्षो से सटीक समय बता रही सूर्य घड़ी

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सीहोर 200 साल पुरानी सूर्य घड़ी आज भी सटीक समय बताती है  सीहोर आज के तकनीकी दौर में सुई और पेंडुलम वाली घड़ियों की जगह डिजिटल वॉच ने ले ली है. पर वैदिक काल मे समय की गणना के लिए सूर्य घड़ी का निर्माण किया गया था इस प्रकार की कुछ ऐतिहासिक घड़ियां भारत में प्रसिद्ध हैं. उनकी कालगणना और समय मापन में विशेष योगदान है. ऐसी ही एक ब्रिटिश कालीन सूर्य घड़ी लगभग 200 वर्षों से मध्य प्रदेश के सीहोर कलेक्टर बंगले में मौजूद है इतिहासकारों से चर्चा के दौरान पता चला कि ब्रिटिश शासन काल में 1820 को घड़ी बनाई गई थी. सूर्य घड़ी संगमरमर से निर्मित है और इसका डायल आज भी सूर्य की रोशनी में सटीक समय की गणना करता है.  सन 1818 में ब्रिटिश फौज के जनरल स्टुवर्ड ने सीहोर को मुख्यालय बनाया था और इसके साथ ही यहां पॉलिटिकल एजेंट की नियुक्ति हुई थी. अंग्रेजों को भारत के साहित्य में भी रुझान था. लिहाजा सीहोर में वैधशाला बनाई गई, जिसमें इसी वैधशाला में सूर्य घड़ी स्थापित की गई जिसका डायल संगमरमर का और पत्ता अष्टधातु का है, जिसे इंग्लेंड से मंगवाया गया था. वैधशाला खत्म होने के बाद इसे कलेक्टर निवास में लगाया गया जहां ये आज

सीहोर (गौतम शाह) जिले के एक ऐसी विधानसभा जहाँ जो भी मुख्यमंत्री आया उसे कुर्सी गावानी पड़ी

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सीहोर इछावर एक मिथक 5 मुख्यमंत्री इछावर आकर गवा चुके है कुर्सी कैलाश नाथ काटजू ,द्वारका प्रशाद मिश्र ,कैलाश जोशी वीरेन्द्र कुमार सखलेचा ओर दिग्विजय सिंह गवा चुके है अपनी कुर्सी सीहोर जिले की इछावर विधनसभा की नगर सीमा के बारे एक मिथक जोरो से  प्रचलित है कि यहां की नगर सीमा में जो भी मुख्यमंत्री आता है उसे अपनी कुर्सी गवाना पड़ती है ऐसा नहीं है कि देश में अनपढ़ या कोई निश्चित वर्ग की अंधविश्वास की चपेट में हो, यहां तो तकरीबन हर तबके का एक धडा हमेशा ही अंधविश्वास की डोरी से जुड़ा रहता है। जी हां, क्या आप जानते हैं कि देश में भी कई जगह ऐसी हैं, जहां बड़े से बड़ा राजनैतिज्ञ केवल इसलिए नहीं जाता क्योकि वहां से एक मिथक जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश में भी ऐसी एक जगह हैं जिनसे एक अजीब सा अंधविश्वास जुड़ा हुआ है। जिसे कोई भी सीएम तक तोड़ता हुआ नहीं दिखता। इस जगह के संबंध में कहा जाता है कि जब भी कोई सीएम यहां आता है तो उसकी कुर्सी चली जाती है।  हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश के सीहोर जिले की  इछावर विधानसभा की। यहां के इस मिथक को अब तक कोई भी मुख्य्मंत्री नही तोड़ पाय है   इछावर के इस मिथक को तोड़ने का प

सीहोर (गौतम शाह ) अनोखी कलाकार - सीटी बजाकर किसी भी गाने की धुन निकालती है

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सीहोर अनोखी कलाकार सीटी बजाकर निकालती है फिलनी गानों की धुन सीहोर कहते है हर इंसान में कोई न कोई  हुनर होता है बस उस हुनर को पहचाने की जरूरत होती है ऐसे ही एक कलाकार है श्वेता जैन शासकीय स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत श्वेता को बचपन से ही सीटी बजाने का शोक था पर  एक लड़की को सीटी बजाते हुवे परिजन देखते थे तो डांट देते थे  श्वेता घर के बहार अपनी सहलियो के समाने पहले सीटी बजाकर बात करने का प्रयास करती ओर फिर धीरे धीरे सीटी बजाकर गाने की धुन निकलने लगी शादी के बाद श्वेता के इस हुनर को को पति प्रवीण जैन ने पहचाना और हौसला अफजाई की बस फिर क्या था श्वेता ने अपने इस अद्भुत हुनर को धार देना शुरू किया और अब शेव्ता इस मुकाम पर पहुँच गई कि वो किसी भी गाने को सीटी बजाकर उसकी धुन निकाल लेती है  देश मे इस तरह का यह हुनर अनोखा है पार्टी या सामाजिक कार्यकम के दौरान लोग श्वेता से गाना सुनाने की फरमाइश जरूर करते है  श्वेता अब अपने इस हुनर को गायन की एक विधा के रूप में राषटीय स्तर पर पहचान दिलाना चाहती है