सीहोर (गौतम शाह ) 200 वर्षो से सटीक समय बता रही सूर्य घड़ी
सीहोर
200 साल पुरानी सूर्य घड़ी आज भी सटीक समय बताती है
सीहोर
आज के तकनीकी दौर में सुई और पेंडुलम वाली घड़ियों की जगह डिजिटल वॉच ने ले ली है. पर वैदिक काल मे समय की गणना के लिए सूर्य घड़ी का निर्माण किया गया था इस प्रकार की कुछ ऐतिहासिक घड़ियां भारत में प्रसिद्ध हैं. उनकी कालगणना और समय मापन में विशेष योगदान है. ऐसी ही एक ब्रिटिश कालीन सूर्य घड़ी लगभग 200 वर्षों से मध्य प्रदेश के सीहोर कलेक्टर बंगले में मौजूद है
इतिहासकारों से चर्चा के दौरान पता चला कि ब्रिटिश शासन काल में 1820 को घड़ी बनाई गई थी. सूर्य घड़ी संगमरमर से निर्मित है और इसका डायल आज भी सूर्य की रोशनी में सटीक समय की गणना करता है. सन 1818 में ब्रिटिश फौज के जनरल स्टुवर्ड ने सीहोर को मुख्यालय बनाया था और इसके साथ ही यहां पॉलिटिकल एजेंट की नियुक्ति हुई थी.
अंग्रेजों को भारत के साहित्य में भी रुझान था. लिहाजा सीहोर में वैधशाला बनाई गई, जिसमें इसी वैधशाला में सूर्य घड़ी स्थापित की गई जिसका डायल संगमरमर का और पत्ता अष्टधातु का है, जिसे इंग्लेंड से मंगवाया गया था. वैधशाला खत्म होने के बाद इसे कलेक्टर निवास में लगाया गया जहां ये आज भी सुरक्षित है. उस समय सटीक समय की जानकारी के लिए इस प्रकार की सूर्य घड़ी को सीहोर कलेक्टर बंगले में लगाया गया था. घड़ी से अंग्रेजी सेना और ब्रिटिश अधिकारी समय की सटीक गणना किया करते थे.
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