सीहोर (गौतम शाह) बेजोड़ कारीगिरी का नायाब मिशाल है आल सेंट चर्च
सीहोर (गौतम शाह) पुराने स्टेट हाईवे किनारे स्थित ऑलसेंट्स चर्च अंग्रेजी हुकूमत की गवाह है। 182 साल पुराने इस चर्च का निर्माण में करीब 27 साल लगे थे। सीहोर का ऑलसेंट्स चर्च एशिया का सबसे सुंदर दूसरे नंबर का चर्च माना जाता है। ऑलसेंट्स चर्च का निर्माण सन् 1834 में अंग्रेजी हुकुमत के पहले पॉलिटिकल एजेंट जेडब्ल्यू ओसबार्न ने अपने भाई की याद में बनवाया था।
सीवन नदी के किनारे बने इस चर्च में पहली बार 1860 में प्रार्थना की गई थी। तभी से यहां क्रिस्चन परिवार प्रार्थना करते आ रहे हैं। चर्च तक जाने के लिए सीवन नदी पर लकडिय़ों का पुल भी बनाया गया था। यह चर्च स्काटलेंड में बने चर्च को देख कर बनवाया गया था। इस तरह का चर्च अब भी स्काटलेंड में होना बताया जाता है। इस चर्च के आसपास बांसों के झुरमुट लगाए गए, जिससे की उसी तरह का वातावरण मिल सकें। चर्च की दीवारें लाल पत्थर से बनाई गई हैं, नक्काशी भी उसी तरह की गई जिस तरह की स्काटलेंड चर्च में की गई हैं। चर्च में वास्तुशास्त्र का भी ध्यान रखा गया है।
सूरज के उदय से लेकर अस्त तक रोशनी आती है। 1818 में भोपाल रियासत अंगे्रजी हुकूमत के कब्जे में आ गई और करीब छह साल बाद अंग्रेजी हुकूमत ने यहां सैनिक छावनी बनाई। इसके बाद 1834 में पहले पॉलीटिकल एजेंट के रूप में जेडब्ल्यू ओसवार्न को सीहोर आया ओर प्रकृति प्रेमी ओसवार्न ने चर्च और उसके आसपास के इलाके को सुंदर और हरा भरा बनाया। यह चर्च भोपाल रियासत का पहला चर्च था, इसीलिए इस चर्च में भोपाल और उसके आसपास रहने वाले अंग्रेज अधिकारी अक्सर प्रार्थना के लिए आया जाया करते थे। ऑल सेंट्स चर्च के नाम से बनाए गए चर्च में 1860 से प्रार्थना करना शुरू हुआ, तब से लगातार यहां प्रत्येक रविवार को क्रिश्चन समुदाय के लोग प्रार्थना करते हैैं।
सीवन नदी के किनारे बने इस चर्च में पहली बार 1860 में प्रार्थना की गई थी। तभी से यहां क्रिस्चन परिवार प्रार्थना करते आ रहे हैं। चर्च तक जाने के लिए सीवन नदी पर लकडिय़ों का पुल भी बनाया गया था। यह चर्च स्काटलेंड में बने चर्च को देख कर बनवाया गया था। इस तरह का चर्च अब भी स्काटलेंड में होना बताया जाता है। इस चर्च के आसपास बांसों के झुरमुट लगाए गए, जिससे की उसी तरह का वातावरण मिल सकें। चर्च की दीवारें लाल पत्थर से बनाई गई हैं, नक्काशी भी उसी तरह की गई जिस तरह की स्काटलेंड चर्च में की गई हैं। चर्च में वास्तुशास्त्र का भी ध्यान रखा गया है।
सूरज के उदय से लेकर अस्त तक रोशनी आती है। 1818 में भोपाल रियासत अंगे्रजी हुकूमत के कब्जे में आ गई और करीब छह साल बाद अंग्रेजी हुकूमत ने यहां सैनिक छावनी बनाई। इसके बाद 1834 में पहले पॉलीटिकल एजेंट के रूप में जेडब्ल्यू ओसवार्न को सीहोर आया ओर प्रकृति प्रेमी ओसवार्न ने चर्च और उसके आसपास के इलाके को सुंदर और हरा भरा बनाया। यह चर्च भोपाल रियासत का पहला चर्च था, इसीलिए इस चर्च में भोपाल और उसके आसपास रहने वाले अंग्रेज अधिकारी अक्सर प्रार्थना के लिए आया जाया करते थे। ऑल सेंट्स चर्च के नाम से बनाए गए चर्च में 1860 से प्रार्थना करना शुरू हुआ, तब से लगातार यहां प्रत्येक रविवार को क्रिश्चन समुदाय के लोग प्रार्थना करते हैैं।
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