सीहोर (गौतम शाह) 356 सेनिको की शहादत को याद कर मनाया जाता है मकर सक्रांति पर्व

आजादी के इतिहास का पहली सैनिक क्रंति जिसमे 356 देश के वीर सपूतों ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी दिन था मकर सक्रांति देश मे वैसे तो मकर सक्रांति का पर्व तिल और गुड़ के बनी मिठाई के लिए जाना जाता है मगर सीहोर में ये पर्व शहादत के रूप में मनाया जाता है  14 जनवरी 1858 को सीहोर में 356 क्रन्तिकारियो को अंग्रेज कर्नल हीरोज ने सिर्फ इसलिए गोलियों से छलनी कर दिया था कियोकि इन देशभक्तों ने 6 अगस्त 1857 को अग्रेजी साम्राज्य को ध्वस्त करते हुवे तत्कालीन सीहोर कैंटोनमेंट में सिपाही बहादुर के नाम से अपनी स्वतंत्र सरकार स्थापित कर ली थी यह देश की अनूठी ओर इकलौती क्रन्तिकारियो की सरकार ने 6 माह तक सीहोर को अंग्रेजो से मुक्त रखा लेकिन क्रन्तिकरियो के इस सामूहिक नरसंहार के बाद सीहोर पर अंग्रजी हुकूमत का कब्जा हो गया नगर के लोग आज भी 14 जनवरी मकर सक्रांति को देश के इन वीर सपूतों की कुर्बानी को याद कर मानते है और सेकड़ाखेड़ी स्थित समाधि स्थल पर जाकर इन वीर सपूतों को श्रधांजलि अर्पित करते है इस घटना को मालवा के जलियावाला बाग के नाम से भी जाना जाता है और सम्भवता पूरे देश मे सीहोर ही एकमात्र ऐसा स्थान है जो पूरे 6 माह तक अग्रेजो से मुक्त रहा नगर वासी आज भी इस क्रंति को याद करते है और आज भी नगर में इस क्रंति में हुई 356 सेनिको की शहादत के चिन्ह मौजूद है हालांकि इन 356 सेनिको की शहादत कई वर्षों तक किताबो में गुम रही और मगर नगर के इतिहासकारों ओर जागरूक लोगो के अथक मेहनत ने इस क्रंति से जुड़े सभी पहलुओं को उजागर किया

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