सीहोर (गौतम शाह) ब्राह्मी लिपि को पुनर्जीवित करने का प्रयास है किताब बम्भी माला - जैन साध्वी शास्वत पूर्णा श्री जी

सीहोर (गौतम शाह) विलुप्ति की कगार पर खड़ी ब्राह्मी लिपि को आसानी से समझ में आ सके इसको लेकर जैन साध्वी शास्वत पूर्णा श्री जी ने ब्राह्मी लिपि पर आधारित किताब बम्भी माला की शुरुवात की 5 वर्षो तक देश के विभिन स्थानों पर शिलालेखो पर अंकित ब्राह्मी लिपि का अध्यन ओर ब्राह्मी पर शोध उपरांत जैन साध्वी ने अपनी किताब बम्भी माला को आकार दिया और इस किताब को प्रकाशित करवाया सरल ओर आसानी से जन्मनास को ब्राही लिपि समझ मे आ सके और देश की विलुप्त हो चुकी इस लिपि के माध्यम से देश की संस्कृति के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सके मूल रूप से किताब का उद्देश्य है देश मे मौजूद ब्राह्मी लिपि की तमाम किताबे अंग्रजी भाषा मे उपलब्ध है इसलिए इस किताब को हिंदी भाषा मे लिखा गया है जैन साध्वी ने किताब के बारे में जानकारी देते हुवे बताया कि जब इस ब्राह्मी लिपि की इस किताब को लिखने का विचार मन मे चल रहा था तब कोई मार्ग नही दिख रहा था अनेको कठिनाई सामने थी कहा से शुरुवात की जाए इस बारे में भी संशय था तब भर्मण के दौरान सीहोर आना हुआ और नगर के प्राचीन चिंतामन गणेश मंदिर जाने का अवसर मिला ओर भगवान गणेश जी के दर्शन के बाद अचानक ही किताब को लिखने में आ रही समस्याओ का निराकरण होने लगा आज जब ब्राह्मी लिपि पर आधारित किताब बम्भी माला सम्पूर्ण हो गई तो इस के प्रोमोशन के लिए जैन साध्वी जी ने सीहोर को चुना जैन साध्वी जी ने इस अवसर पर किताब की विशेषताओं का भी जिक्र किया इस किताब में हर छोटी छोटी बात पर गंभीरता से विचार किया गया है ब्राह्मी लिपि के बारे में जानकारी देते हुवे बताया कि ब्राह्मी लिपि के उपयोग से व्यतित्व में निखार आता है इस लिपि से नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका मिलता है

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