सीहोर (गौतम शाह) केरी के महादेव जहाँ महादेव जटाओ के रूप में विराजमान है

सीहोर(गौतम शाह)सीहोर से लगभग 65 किलोमीटर दूर भोपाल रायसेन ओर सीहोर जिले की सीमा पर कोलार डेम व रातापानी अभ्यारण के पास सतपुड़ा की वादियों ओर ॐ वेली के बीचोबीच में विराजमान है केरी के महादेव अदभुत प्राकर्तिक सौंदर्य सतपुड़ा की पहाड़ी ओर घने जंगल के बीच से गुजरते हुवे जब आप केरी के महादेव नाम से प्रशिद्ध महादेव मंदिर पर जाते है तो चारो का खूबसूरत कुदरती नाजरा गहरी खइया उचे उचे पहाड़ आप का मन मोह लेगे केरी के महादेव शायद पूरे भारत मे ऐसी पहली जगह है जहां महादेव बाबा किसी मूर्ति के रूप में नही बल्कि जटाओ के रूप में खुले आसमान के नीचे विराजमान है ओर जटाओ को आकार दिया है वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ ने इस वट वृक्ष की जटाओ से 12 महीने पानी की एक समान धारा बहती रहती है पास ही में एक छोटे से मंदिर में शिवलिंग विराजमान है वटवृक्ष(बरगद का पेड़)से निकलने वाले पानी की अविरल धारा से प्रतिदिन शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है यहा आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और दूर दूर से यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते है और पूरी होने पर यहाँ मौजूद शिवलिंग का अभिषेक करते है केरी के महादेव जिस जगह विराजमान है वो इलाका घने जंगलों के बीचों बीच सतपुड़ा की वादियों में है और वन विभाग के आधीन है वनविभाग के आधीन होने की वजह से यहां सुविधाये सीमित ही है ओर वनविभाग की अनुमति लेना भी आवश्यक है इस वजह से भक्तों का कम ही आना जाना हो पाता है और घने जंगल और पहाड़ी इलाके की वजह से यहां जंगली जानवरों का भय भी बना रहता है मगर परिस्थिति केसी भी हो संख्या भले ही कम हो मगर महाकाल के भक्त फिर भी केरी के महादेव वाले बाबा के दर्शन करने पहुच ही जाते है यहां मंदिर से तकरीबन 100 फिट नीचे गहरी खाई में एक केरी (आम) का बहुत विशाल पेड़ है जहाँ जाना बहुत है खतनाक हो सकता है इस केरी के विशाल पेड़ की वजह से इस स्थान का नाम केरी के महादेव पड़ा साल में दो बार भूतड़ी अमावस्या ओर शिवरात्रि को यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है

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