सीहोर (गौतम शाह) दुर्भाग्य का विषय है हम अपनी परंपरा खोते जा रहे है --पंडित शैलेश तिवारी

सीहोर(गौतम शाह) संयुक्त परिवार में पता ही नहीं चलता कि बच्चे कब बड़े हो गए पर दुर्भाग्य का विषय यह कि यह परम्परा अब विलुप्त होती नजर आ रही है इसी कारण ही परिवारों में कलह और विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है, यह बात पंडित शैलेष तिवारी ने स्वर्णकार समाज द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महापुराण के दूसरे दिन बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं से कही। श्री तिवारी ने कहा कि संयुक्त परिवारों में जो भी लोग रहे अथवा जो भी गिनती के परिवार अभी भी संयुक्त रुप से रह रहे है उनके परिवारों से इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि उनके परिवारों के बच्चे कब बड़े हो गए? कम से कम उसके माता पिता को पता ही नहीं चलता जो बच्चे दादा दादी के बीच जीवन बिताते है उन्हें अतिरिक्त रुप से कोई ज्ञान नहीं देना पड़ता वे तो प्रारंभ से ही संस्कारों की छांव में पलते बढ़ते है पर अब ऐसा समय आ गया है कि एक लड़का है तो वो भी अलग रहना चाहता है माता पिता की वो बेटी उनका ध्यान रखती है जिसे उनके द्वारा भी संसार से आने से रोकने कीक कोशिश की गई थी, पंडित शैलेष तिवारी ने कहा कि जीवन में मोह से बचने की कोशिश करना चाहिए यह कब किससे हो जाए यह पता ही नहीं चलता जब आप मोह में फंस जाएंगें तो आपका जीवन कष्टप्रद हो जाएगा। उन्होंने कहा पूर्व के समय भी धरती की रक्षा की जरुरत थी और आज भी उसकी रक्षा की जरुरत है आज वक्त है हम सभी को व्यक्ति गत रुप से स्वेच्छिक संकल्प लेने का, पौधारोपण कर उन्हे वृक्ष बचाने का संकल्प, पानी की बूंद बूंद बचाने का संकल्प, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने का संकल्प, जरुरत है हमें आर्टिफिशियल चीजो से बचकर प्रकृति से जुडऩे की, उन्होंने कहा कि आज देखने में आ रहा है हम लोगों के जीवन का रिमोट कंट्रोल किसी अन्य के पास चला गया है जबकि हमें सिर्र्फ अपने दिमाग से चलना चाहिए प्रभु से जुड़कर रहने पर हमें न तो किसी की सहायता पर न ही किसी अन्य प्रकार की सुविधाओं का मोहताज रहना पड़ेगा। भागवत कथा के दूसरे दिन मुख्य यजमानों द्वारा विधि विधान के साथ भागवत पूजन किया गया आरती उपरांत भागवत कथा का समापन हुआ।

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